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ملحوظات عن القصيدة:
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| الرجل الأول |
| يقرر أن يعشقَ |
| للمرة الألف |
| يَحْمِلُ عَوَاطِفَه ويرحل |
| كُلُّ المسالِك تتشابه |
| ولا شيءَ هناك |
| أَ وْزَارٌ يَحمِلُها كما تَحْمِلهُ. |
| الرجل الثاني |
| تُصَفِّفُ له الباقة |
| تَفْتَحُ لَهُ النوافذ |
| يفوح منه عِطْرُ |
| لْوُرُودِ الشائكة |
| رَجُلٌ مُثْخَنٌ |
| بِلْجُرُوح |
| الرجل الثالث |
| يَتَكَسَّرُ |
| يَتَناثرُ |
| تَجْمَعُ أَشلاءَه |
| يَتَبَدَّدُ بينَ أصابِعها |
| رَجُلٌ أَغْوَتْهُ |
| صحف من جليد. |
| الرجل الرابع |
| صغيرٌ هذا |
| الرجل |
| كأنه المسيح |
| تتمسح به |
| العذارى |
| لِتَنَام. |
| الرجل الخامس |
| يَمْكُرُ |
| تُكَفِّنُهُ |
| فَيُمَزِّقُ لْكَفَن |
| يَمْكُرُ |
| تَلْعَنُه |
| فتَنزلق في لَعَناته |
| يَمْكُرُ |
| تَهْجرهُ |
| فتَبدأ القصيدة |
| رَجُلٌ لا يُتْعِبُهُ لشَّغَب. |
| الرجل السادس |
| يَسْكُنُ وَحْدَه |
| وَيَطْرُد كُلَّ الأرواح |
| يُطْفِئُ شُمُوعَ.... |
| أَعْيَاد الميلاد وحيدا |
| وتُنير أفكارَه |
| عزلةٌ مُوحِشَة |
| رجل لا يعرف الضَّجَر. |
| الرجل السابع |
| يُؤَثِّثُ كُلَّ فراغي |
| يعشقني.... |
| كعشقي للقصيدة |
| يَذْكُرُ نَزَقي |
| يُلملم شَبَقي |
| ويبدِّدُ كُلَّ الأحزانْ |
| رجل يجْتَرُّ الشَوْقَ والْمَسَافات . |