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ملحوظات عن القصيدة:
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| كلّ خوخ الأرض ينمو في جسد |
| وتكون الكلمة |
| وتكون الرغبة المحتدمه |
| سقط الظلّ عليها |
| لا أحد |
| لا أحد ... |
| وتغنّي وحدها |
| في طريق العربات المهملة |
| كل شيء عندها |
| لقب للسنبلة |
| وتغنّي وحدها: |
| البحيرات كثيره |
| وهي النهر الوحيد . |
| قصّتي كانت قصيرة |
| وهي النهر الوحيد |
| سأراها في الشتاء |
| عنما تقتلني |
| وستبكي |
| وستضحك |
| عنما تقتلني |
| وأراها في الشتاء . |
| انّني أذكر |
| أو لا أذكر |
| العمر تبخّر |
| في محطات القطارات |
| وفي خطوتها . |
| كان شيئا يشبه الحبّ |
| هواء يتكسّر |
| بين وجهين غريبين، |
| وموجا يتحجّر |
| بين صدرين قريبين، |
| ولا أذكرها ... |
| وتغنّي وحدها |
| لمساء آخر هذا المساء |
| وأنادي وردها |
| تذهب الأرض هباء |
| حين تبكي وحدها . |
| كلماتي كلمات |
| للشبابيك سماء |
| للعصافير فضاء |
| للخطى درب و للنهر مصبّ |
| وأنا للذكريات . |
| كلماتي كلمات |
| وهي الأولى . أنا الأول |
| كنّا . لم نكن |
| جاء الشتاء |
| دون أن تقتلني ... |
| دون أن تبكي و تضحك . |
| كلمات |
| كلمات . |