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ملحوظات عن القصيدة:
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| ذُو بُكْمَةٍ.. وَذُو عَمَى |
| تقاسَمِا بَيْتَهما |
| فاختلفا، واحتكما |
| لأِكبرِ الأعمامْ. |
| عَمُّهما دَعاهُما |
| أن يَذهَبا للِسّينما |
| عَلَّهُما أن يُلهما |
| فِكرةَ حَلِّ عادلٍ |
| مِن قَصصِ الأفلامْ. |
| في السِّينما تصادَما |
| لَمْ يَرَيا بَعَضَهُما |
| مِن فَرْطِ حُلْكةِ العَمي |
| وَحُلكةِ الظلامْ. |
| قاما وكُلُّ مِنهُما |
| يَقطُرُ أنفُهُ دَما |
| وجاءَ مَقعداهُما |
| في آخِرِ الخَلْفِ |
| وفي بداية الأَمامْ! |
| وَاغتنما قُربَهُما |
| فاجتهدا أن يَدعما |
| بَعضَهُما لِيَفْهَما |
| فَواحدٌ يَسمعُ فيها صُوَراً |
| وواحدٌ يُشاهِدُ الكلامْ! |
| نالا عسى ورُبَّما |
| فلا استفادَ ذو العَمي |
| ولا أفادَ الأبكما |
| واستحكَمَ الخِصامْ. |
| عادا إلي عَمِّهما |
| فَصاغَ حَلاًّ لَهُما |
| يُقَسِّمُ البيتَ بما |
| يُحَقِّقُ الوئامْ: |
| لِلأَبكمِ البيتُ.. |
| وللأعمى العمى! |
| يلتزمُ الأعمى بأن |
| يرعى النجومَ في السَّما. |
| وأن ينامَ قائماً. |
| وأن يَبوسَ كُلّما |
| رأي يَداً أو قَدَما. |
| يُسْمَحُ للأعمى بأن |
| يَستعمِلَ الحَمّامْ! |
| وهكذا تقاسما |
| فانسَجَما وابتسَما |
| وَحَلَّقَتْ بينَهُما |
| حَمامَةُ السَّلامْ! |
| يا سادَتي الكرامْ.. |
| ما أضيعَ المرءَ الذّي |
| لَيسَ لَهُ أعمامْ! |