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قالت جنيتي: قتلتني بشعرك؛ وهذا فراق بيننا.. |
فقلت: |
فَقَطْ.. |
لِأَنَّ حُروفي أَرهَقَتكِ.. |
أَنا.. |
لِأَجلِ عَينَيكِ |
أَوقَفتُ القَصيدَ.. |
هُنا.. |
الآنَ.. |
أَطعَنُ أَكبادَ القَصائِدِ.. |
كَي يَظَلَّ وَجهُكِ؛ بَعدَ الشِّعرِ؛ لِي وَطَنا.. |
أَتَرحَلِينَ؟! |
وَلَو أَدرَكتِ أَنِّيَ: |
مُذ شَمَمتُ عِطرَكِ |
ذابَ العُمرُ! |
وَانعَجَنا! |
مُراهِقًا.. |
عُدتُ! |
حَتَّى الشَّيبُ مُنفَعِلٌ! |
وَهااا.. |
رَجِعتُ غُلامًا! |
بِالهَوى |
فُتِنا! |
ظَلِّي.. |
سَأَعتَزِلُ الأَشعارَ.. |
كَيفَ؟ |
وَقَد حَدَّدتِ شَرطَكِ |
أَسقِي لِلنَّوى دَمَنا؟! |
أَدري.. |
سَيَهزَأُ بِي خِصمٌ |
وَيَسخَرُ مِن عِشقي |
وَيُعلِنُ: |
إِنِّي أَضَعفُ الجُبَنااا |
وَلَستُ آبَهُ! |
دامَ الشِّعرُ.. |
فِي شَفَةٍ وَمُقلَةٍ |
قَد تَجَلَّى فِيكِ! |
وَاختُزِنا! |
كُوني قَصِيدَتِيَ الأَحلى |
سَأَصمِتُ.. |
لَن أَقولَ؛ بَعدَكِ؛ شِعرًا.. |
فَاقبِضِي الزَّمَنا.. |