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ملحوظات عن القصيدة:
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| أَأنينُ الرُّوحِ |
| يُنسَى؟ |
| كيفَ أنسَى ..... |
| وَ العصافيرُ |
| التي كانتْ |
| تَرِفُّ النُّورَ |
| همسَا |
| وَ انْتشاءُ الرُّوحِ |
| لمسَا |
| يَا عذولي |
| فيْ جنوني |
| لا تَسلنيْ |
| كيفَ أمسَى |
| لا تَسلنيْ |
| كيفَ كنّا |
| اذْ يغارُ |
| النجمُ منّا |
| وَالقميرُ الغِرُّ |
| جُنّا منْ |
| تَساقينا الهَوى |
| لا لستُ أَنْسَى ..... |
| في دمائيْ جَنحُهَا |
| المكسورُ مرسَى |
| في عيونِ الوجدِ |
| أجمارٌ وَ ذكرَى |
| وَ ارتباكٌ |
| وَ اشتباكٌ |
| وَ احتمالٌ |
| أنْ يضُمَّ |
| اللّيلُ شمْسَا |
| لستُ أَنسَى ..... |
| كلَّمَا هاجتْ |
| ببالي |
| أشغَلتْني |
| باشْتِعَالي |
| وَ اسْتَبَاحَ الموتُ |
| عرسَا |
| كيفَ أُنْسَى ..... |
| وَ انْبعاثيْ |
| نبضُهَا |
| المُشتاقُ دمعيْ |
| منْ شرايينِ التَّمنِّي |
| في خلايَاهَا أغنِّي |
| ليتَ أنِّي |
| دمعةٌ في |
| عينِ انثَى |