إبلاغ عن خطأ
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الفيروسات في حاسوبي ترعى |
رعي العيس |
بلا حاد أو دليلِ |
ما للفيروسات |
قد ملأت حاسوبي |
أبابه مفتوح لكل دخيل؟ |
وهل المضادات |
قد سمحت؟ |
أم تعطلت |
بفعل فاعل رزيل؟ |
ما لهذي الأيقونات |
تغير لونها؟ |
وأضحت تفتح |
بعد وقت مليل |
ومؤشر الفأرة |
يجري مسرعاً |
نحو ما لا أريد |
بالتبديل |
وطابعتي |
تنزف الحبر أسود |
فوق مستند |
بأقل القليل |
ما للفيروسات |
تغيرت عما مضى |
تفحلت |
بعدما كانت كالفسيل |
وأضغط على الباء |
فتكتبه سيناً |
والمفاتيح كلها |
كالشيء الخبيل |
حملت حاسوبي |
للصيانة لأقرب مركز |
قال: |
ما في جهازك فيروس |
يا خليلي |
ولكنه لما شعر |
أنك أردت بيعه |
تظاهر أمامك |
كالمريض العليل |
فما به إلا ألم |
على الفراق |
فلا تبعه |
بالمبلغ البخس القليل |
من يومها، |
أبقيت عليه |
واتخذته صاحباً لي، |
ودليلي |